तर्क सच्चाई (तात्विकता) तक पहुँचने का एक सेतु है. कारण, कार्य, फल-परिणाम में सामंजस्यता करते हुए तर्क है. तर्क साधन है, साध्य नहीं है. तर्क को साध्य मान लेने से आदमी बतंगड़ बन जाता है. उसका तर्क ख़त्म ही नहीं होता है! इसी को वितंडावाद कहा है. विज्ञान ने तर्क-सम्मत होने से शुरुआत की, किन्तु उसमे भूल यहाँ हो गयी जब उसने यह मान लिया कि आदमी सिद्धांत (नियम) बनाता है.
- श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (मई २००७, अमरकंटक)
- श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (मई २००७, अमरकंटक)
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