आचरण ध्रुवीकृत होने से व्यक्तित्व स्थिर होता है।
आचरण ध्रुवीकृत होने का मतलब है - मूल्य, चरित्र, नैतिकता की प्रमाण परंपरा।
व्यक्तित्व है - आहार, विहार, व्यवहार।
आचरण व्यवस्था को छूता है। व्यवस्था में जीने का स्वरूप व्यक्तित्व है। निश्चित आचरण की प्रमाण परंपरा ही व्यक्तित्व में स्थिरता लाता है। प्रमाण परंपरा में मानव का "आहार" निश्चित होता है। "व्यवहार" निश्चित होता है। और इसके पक्ष में "विहार" भी निश्चित होता है।
- श्री ए नागराज के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त 2006, अमरकंटक)
आचरण ध्रुवीकृत होने का मतलब है - मूल्य, चरित्र, नैतिकता की प्रमाण परंपरा।
व्यक्तित्व है - आहार, विहार, व्यवहार।
आचरण व्यवस्था को छूता है। व्यवस्था में जीने का स्वरूप व्यक्तित्व है। निश्चित आचरण की प्रमाण परंपरा ही व्यक्तित्व में स्थिरता लाता है। प्रमाण परंपरा में मानव का "आहार" निश्चित होता है। "व्यवहार" निश्चित होता है। और इसके पक्ष में "विहार" भी निश्चित होता है।
- श्री ए नागराज के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त 2006, अमरकंटक)
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