सह-अस्तित्व स्वरूप में अस्तित्व स्थिर है. अस्तित्व न घटता है, न बढ़ता है – इसलिए स्थिर है. विकास और जागृति होना निश्चित है. अस्तित्व में विकास रहता ही है, जागृति रहता ही है. इस धरती पर भले ही मानव अजागृत हों, अस्तित्व में कहीं न कहीं जागृति प्रमाणित है ही. जो है, वही होता है. जो था नहीं वह होता नहीं. आबादी के आधार पर बर्बादी का गणना है. भाव के आधार पर अभाव का गणना है. न्याय के आधार पर अन्याय का गणना है. पूर्णता के आधार पर ही अपूर्णता की समीक्षा है.
- श्री ए नागराज के साथ संवाद पर आधारित (दिसम्बर 2010, अमरकंटक)
- श्री ए नागराज के साथ संवाद पर आधारित (दिसम्बर 2010, अमरकंटक)
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आभार!
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