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Wednesday, October 31, 2012

उपयोगिता

उपयोगिता आचरण के रूप में पहचान में आती है।  हर इकाई अपनी उपयोगिता  को अपने आचरण द्वारा प्रकट करती है।  पानी अपनी प्यास बुझाने की उपयोगिता को अपने आचरण द्वारा प्रकट करता है।  जीव-जानवर अपनी उपयोगिता को अपने वंश के अनुरूप आचरण करके प्रकट करते हैं।  उसी प्रकार मानव अपनी उपयोगिता को ज्ञान के अनुरूप आचरण द्वारा प्रकट कर सकता है।  जैसे - मैं मानव-चेतना के ज्ञान के अनुरूप आचरण कर रहा हूँ और आप उसे अपनाने का प्रयास कर रहे हैं।  इससे मेरी उपयोगिता सिद्ध हुई या नहीं?

जागृति पूर्वक मानव मानव के लिए उपकार विधि से उपयोगी है और मनुष्येत्तर प्रकृति के लिए संरक्षण और नियंत्रण विधि से पूरक है।


- श्री ए नागराज के साथ संवाद पर आधारित (जनवरी 2007, अमरकंटक)

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