- संग्रह का तृप्ति बिंदु किसी भी देश काल में किसी एक व्यक्ति को भी नहीं मिल पाया।
- समृद्धि सामान्य आकांक्षा और महत्त्वाकांक्षा संबंधी वस्तुओं के आधार पर ही हो पाता है, न कि प्रतीक मुद्रा के आधार पर।
- आवर्तनशील व्यवस्था में मानव सहज अपेक्षा रूपी समृद्धि सभी परिवारों के लिए सुलभ हो जाता है।
- अर्थशास्त्र विधा में आवर्तनशीलता स्वयं में श्रम नियोजन और श्रम विनिमय प्रणाली, पद्दति, नीति है।
- समृद्धि का भाव परिवार में ही होता है। एक परिवार समृद्ध होने के लिए एक से अधिक परिवार समृद्ध रहना अनिवार्य है। इस क्रम में अकेले में समृद्ध होने की कल्पना और संग्रह विधि से समृद्धि की कल्पना दोनों भ्रम सिद्ध हुआ।
- अभाव का अभाव ही समृद्धि है।
- आवर्तनशील अर्थशास्त्र (अध्याय 4)
2 comments:
Rakesh Bhai,
Could you please explain the following.
"एक परिवार समृद्ध होने के लिए एक से अधिक परिवार समृद्ध रहना अनिवार्य है।"
Does that also mean the propserity always occur together between multiple families and not in just one family ?
Regards,
Gopal.
Yes Gopal Bhai,
One family can't achieve prosperity in isolation. It will require other families to join, to have the atmosphere of trust and justified exchange.
Regards,
Rakesh
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