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Saturday, October 2, 2021

पूर्ण - पूर्णता - सम्पूर्णता

 





ज्ञान सत्ता है.  ज्ञाता प्रकृति है.  

सहअस्तित्व में ज्ञान और ज्ञाता दोनों हैं.  

ज्ञान भी व्यापक है, सत्ता भी व्यापक है - इसलिए ज्ञान के आधार पर जो व्यवस्था होती है उसको प्रभुसत्ता (प्रबुद्धता पूर्ण सत्ता) कहा.  सम्पूर्ण प्रकृति व्यापक वस्तु में समाहित है, इसीलिये प्रकृति व्यवस्था स्वरूप में रहता है.  

व्यापक वस्तु स्थितिपूर्ण है, अशेष प्रकृति स्थितिशील है.  पूर्ण में गर्भित होने के कारण प्रकृति में पूर्णता के प्रकटन होने की बात है.  पूर्णता का स्वरूप है - गठनपूर्णता, क्रियापूर्णता, आचरणपूर्णता.  पूर्ण (सत्ता) का स्वरूप है - व्यापकता, पारगामीयता, पारदर्शीयता.  

पूर्णता प्रकृति में है, पूर्ण व्यापक है.  यह भेद समझ में आना चाहिए.  यह समझ में आने के बाद काफी सूत्र स्पष्ट हो जाते हैं.

पूर्ण में गर्भित होने का प्रयोजन सम्पूर्णता और पूर्णता है.  सम्पूर्णता भौतिक-रासायनिक प्रकृति में है.  पूर्णता चैतन्य प्रकृति (जीवन) में है.  पूर्ण में गर्भित होने से सम्पूर्णता और उसके बाद पूर्णता है.  बीज इतना ही है.  मेरे अनुसंधान का यही मूल मुद्दा है.  विकल्प होने का आधार यही है.  नहीं तो यह प्रस्ताव भौतिकवाद और आदर्शवाद से जुड़ा ही रहता.

- श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (दिसम्बर २००८, अमरकंटक)

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