प्रश्न: इतिहास के बारे में आपका क्या दृष्टिकोण है? क्या इतिहास से हम कुछ सबक ले सकते हैं? इतिहास का सही स्वरूप क्या है?
उत्तर: अभी तक मानव परंपरा कैसा गुजरा, उसकी समीक्षा को स्मरण करने की विधि इतिहास है. जो बीत चुका है उसको स्मरण में लाने की विधि इतिहास है. इस इतिहास के अनेक आयाम हैं. जैसे - आर्थिक विधा में हज़ार साल पहले मानव क्या समझा और किया? राज्य को कैसे समझा? हज़ार साल पहले किसको 'न्यायिक संविधान' समझा? उस समय अलंकार का क्या स्वरूप होता था? कैसे नाचता रहा, गाता रहा, भाषा का प्रयोग करता रहा?
अभी इतिहास में केवल मार-काट किसने, कब और कैसे किया - यही याद करते हैं. देवासुर संग्राम की कथाएँ तो शुरुआत से ही लिखी हैं. वैदिक ऋचाओं में भी इनको बढ़िया से लिखा हुआ है. किसने, कैसे, किसको मारा-काटा. इससे हम क्या सीखें? क्या समझें? "मानव इतिहास" के लिए कोई प्रस्तुति यहाँ से मिलता नहीं है.
मेरे अनुसार अभी तक "मानव" का इतिहास शुरू ही नहीं हुआ है. सम्मानजनक भाषा प्रयोग करें तो यही कहना बनता है. अमानवीयता के इतिहास को यदि आप मानव का इतिहास कहना चाहें तो हमको इसमें कोई तकलीफ नहीं है. एक नारियल उसमे मैं भी चढ़ा दूंगा!
मानवीयता का इतिहास इस धरती पर अभी तक शुरू नहीं हुआ है - यह तो बात सही है. राक्षस मानव और पशु मानव के इतिहास को पढ़ करके कोई "मानव" तो होने वाला नहीं है.
अभी तक के घटना-क्रम से सार्थक यही है - उन्होंने मानव शरीर परंपरा को बनाए रखा. अध्यात्मवाद ने हमको अच्छी भाषा/शब्दों को दिया, उसके लिए भी हम उनके कृतज्ञ हैं. व्यापक कोई वस्तु होता है, यह सूचना दिया है. देवी-देवता श्रेष्ठ होते हैं - यह सूचना दिया है. तीसरे, मानव सदा से शुभ चाहते रहे - इसके लिए हम कृतज्ञ हैं.
प्रश्न: तो क्या हम इतिहास को पढ़ाना बंद कर दें?
उत्तर: नहीं, ऐसा कुछ नहीं कहा है मैंने. हम पढ़ाएंगे - जंगल युग से पाषाण युग, पाषाण युग से धातु युग, धातु युग से कबीला युग, कबीला युग से ग्राम युग तक मानव किस बात को समझदारी (ज्ञान) मानता रहा? उस समझदारी को आर्थिक आयाम में उसने कैसे प्रयोग किया? मानव-मानव के बीच व्यवहार में कैसे प्रयोग किया? जंगल-ज़मीन के साथ अपनी शक्तियों को कैसे उपयोग किया? और उसका परिणाम क्या निकला? इसी के अंतर्गत राज्य, संस्कृति, कला, अलंकार आदि आ जाता है. उसके बाद राज युग में क्या आश्वासन मिला, यह आश्वासन कितना सार्थक हुआ? युद्ध और मार-काट को हम नहीं पढ़ायेंगे. हम यह पढ़ाएंगे - जंगल युग से राज युग तक प्रगति की क्या कड़ियाँ बनी? राक्षस मानव और पशु मानव के संघर्ष में मानव कैसा परेशान हुआ? यहाँ से आज मानवीयता के इतिहास को शुरू करने तक कैसे आ गया? यह हम पढ़ाएंगे.
- श्री ए नागराज के साथ संवाद पर आधारित (सितम्बर १९९९, आन्वरी)
No comments:
Post a Comment