ANNOUNCEMENTS



Sunday, January 31, 2016

भोग प्रवृत्ति से मुक्ति

"मानवीयता पूर्ण जीवन में सम्पूर्ण भोग अवरीयता के रूप में, दिव्य मानवीयता में नगण्यता के रूप में और अमानवीय जीवन में अतिप्रधान रूप में ज्ञातव्य हैं.  यही अमानवीय जीवन में अपव्यय का प्रधान कारण है.  व्यवहारिक शिष्टता एवं मूल्यों की उपेक्षा पूर्वक किया गया भोग ही 'अपव्यय' तथा उसमें भोग प्रवृत्ति ही 'प्रमत्तता' है.  इसी भोग प्रवृत्ति वश मानव अपारिवारिकता तथा असामाजिकता की ओर उन्मुख है.  फलस्वरूप द्रोह, विद्रोह, शोषण है.  मानवीय जीवन के लिए भोग प्रवृत्ति से मुक्त होना प्रथम सीढ़ी है." - श्री ए नागराज



No comments: