प्रश्न: भ्रमित-अवस्था में बुद्धि और आत्मा का कार्य-रूप क्या है?
उत्तर: बुद्धि और आत्मा जीवन में अविभाज्य है। भ्रमित-अवस्था में भ्रमित-चित्रणों को बुद्धि अस्वीकारता है और वह चित्रण तक ही रह जाता है, बोध तक नहीं जाता। इसी से भ्रमित-मनुष्य को "गलती" हो गयी - यह पता चलता है। बुद्धि और आत्मा ऐसे भ्रमित-चित्रणों के प्रति तटस्थ बना रहता है - इसके प्रभाव-स्वरूप में कल्पनाशीलता में "अच्छाई की चाहत" बन जाती है। यही भ्रमित-मानव में शुभ-कामना का आधार है। भ्रमित-अवस्था में बुद्धि और आत्मा में "सही" के लिए वस्तु नहीं रहती, पर गलती के लिए अस्वीकृति रहती है।
- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित
उत्तर: बुद्धि और आत्मा जीवन में अविभाज्य है। भ्रमित-अवस्था में भ्रमित-चित्रणों को बुद्धि अस्वीकारता है और वह चित्रण तक ही रह जाता है, बोध तक नहीं जाता। इसी से भ्रमित-मनुष्य को "गलती" हो गयी - यह पता चलता है। बुद्धि और आत्मा ऐसे भ्रमित-चित्रणों के प्रति तटस्थ बना रहता है - इसके प्रभाव-स्वरूप में कल्पनाशीलता में "अच्छाई की चाहत" बन जाती है। यही भ्रमित-मानव में शुभ-कामना का आधार है। भ्रमित-अवस्था में बुद्धि और आत्मा में "सही" के लिए वस्तु नहीं रहती, पर गलती के लिए अस्वीकृति रहती है।
- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित
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