जब प्यास लगे तब कुआँ खोद के पानी पियें, वह अच्छा है - या पहले से कुआं रहे, जब प्यास लगे उससे पानी पिएं - वह अच्छा है? पहले से कुआं रहे, वही अच्छा है.
वैसे ही हमारे पास समझदारी रहे, उससे जब जो परिस्थिति हो उसका समाधान हमको मिलता रहे.
समझदारी हासिल करने के बाद अब तक की यात्रा में, मेरे पास समझदारी पहले से रहा, अवसर और सम्भावना बढ़ता गया - इसलिए मेरा ध्वनि बुलंद होता गया. यदि अवसर और सम्भावना उदय नहीं होता तो मेरा ध्वनि बुलंद नहीं हो सकता था. अवसर और सम्भावना बढ़ने से आपको भी लगता है, यह बात सब तक पहुंचना चाहिए। यहां तक हम आये हैं, यह हमारा मूल्यांकन है.
कटघरे में रह कर हम समय को अघोरते रहे - यह ठीक नहीं है! किसी कटघरे में आप न फंसें - ऐसा मेरा शुभकामना है. आपके जैसे संभ्रांत लोगों से मेरी यही अपेक्षा है. संभ्रांत से आशय है - आगे की सोच के लिए आप लोगों के पास जगह है. आगे की सोच के लिए जिनके पास जगह नहीं है, उनको मैं रूढ़िवादी या कटघरे में रहने वाला मानता हूँ. आज की विपदाएं आपको विदित हैं, आगे के लिए सुगम रास्ता क्या हो, इसके लिए आपके पास जिज्ञासा है - भले ही वह किसी भी प्राथमिकता में हो. इस आधार पर आप आगे की सोच के लिए योग्य हैं, ऐसा मान करके आप लोगों के साथ मैं मंगल मैत्री से चले आ रहा हूँ. इसमें हम सफल भी हैं. हम केवल शुष्कवाद कर रहे हों - ऐसा भी नहीं है!
- श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (जनवरी २००८, अमरकंटक)
No comments:
Post a Comment