सर्वभाषा में समानता का सूत्र है - कारण गुण गणित
भाषा का प्रयोजन है - मानव परस्परता में सच्चाई की सम्प्रेष्णा
मानव में सच्चाई को प्रमाणित करने की अपेक्षा है. सच्चाई को प्रमाणित करना = उपयोगिता, सदुपयोगिता, प्रयोजनशीलता प्रमाणित करना. भाषा इसको संप्रेषित करने के लिए है.
सहअस्तित्व रुपी अस्तित्व के स्वरूप में प्रयोजनशीलता अनुभव में आता है, जो सार्वभौम व्यवस्था के रूप में प्रमाणित होता है. इसको संप्रेषित करने के लिए कारणात्मक भाषा है. दर्शन कारणात्मक भाषा में लिखा है.
(अनुभव मूलक विधि से) उपयोगिता और सदुपयोगिता व्यवहार में आता है, जो न्याय और धर्म के स्वरूप में प्रमाणित होता है. इसको संप्रेषित करने के लिए गुणात्मक भाषा है. वाद और शास्त्र गुणात्मक भाषा में है.
गणना करने के लिए गणितात्मक भाषा है.
गणित आखों से अधिक लेकिन समझ से कम होता है. समझ के लिए गुणात्मक और कारणात्मक भाषा है.
- श्रद्धेय ए नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००७, अमरकंटक)
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