प्रश्न: कुछ लोग जैसे दिखते हैं, वैसे वो हैं नहीं; जैसे वो हैं, वैसे दिखते नहीं हैं - ऐसे लोगों से कैसे बचा जाए?
उत्तर: ऐसे लोगों से कैसे बचें - एक चीज़ है, उनका सुधार कैसे हो - यह दूसरी चीज़ है.
ऐसे लोगों से बच के कहाँ जाओगे? क्या इस प्रकार के लोग संसार में कम हैं? ऐसे लोग संसार में बहुत हैं.
जैसे दिखना वैसा होना नहीं, जैसा होना वैसे दिखना नहीं - यह "विश्वासघात" है.
विश्वासघात का चार स्वरूप है - छल, कपट, दंभ, पाखण्ड.
छल = विश्वासघात के बाद भी जिसके साथ विश्वासघात हुआ हो, उसको समझ में नहीं आना.
कपट = विश्वासघात होने के बाद जिसके साथ विश्वासघात हुआ हो, उसको समझ में आना.
दंभ = आश्वासन पूर्वक विश्वासघात
पाखण्ड = दिखावा पूर्वक विश्वासघात
अभी जिस तरह की शिक्षा है, उससे इस प्रकार के ही आदमी तैयार हो रहे हैं. इस तरह की शिक्षा कौन दे रहे हैं? "अच्छा आदमी" जो कहलाते हैं, वही ऐसी शिक्षा दे रहे हैं.
यदि हम जागृत होते हैं तो हम इन सबके सुधार के लिए उत्तर हम दे पाएंगे.
- श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अछोटी, २००८)
उत्तर: ऐसे लोगों से कैसे बचें - एक चीज़ है, उनका सुधार कैसे हो - यह दूसरी चीज़ है.
ऐसे लोगों से बच के कहाँ जाओगे? क्या इस प्रकार के लोग संसार में कम हैं? ऐसे लोग संसार में बहुत हैं.
जैसे दिखना वैसा होना नहीं, जैसा होना वैसे दिखना नहीं - यह "विश्वासघात" है.
विश्वासघात का चार स्वरूप है - छल, कपट, दंभ, पाखण्ड.
छल = विश्वासघात के बाद भी जिसके साथ विश्वासघात हुआ हो, उसको समझ में नहीं आना.
कपट = विश्वासघात होने के बाद जिसके साथ विश्वासघात हुआ हो, उसको समझ में आना.
दंभ = आश्वासन पूर्वक विश्वासघात
पाखण्ड = दिखावा पूर्वक विश्वासघात
अभी जिस तरह की शिक्षा है, उससे इस प्रकार के ही आदमी तैयार हो रहे हैं. इस तरह की शिक्षा कौन दे रहे हैं? "अच्छा आदमी" जो कहलाते हैं, वही ऐसी शिक्षा दे रहे हैं.
यदि हम जागृत होते हैं तो हम इन सबके सुधार के लिए उत्तर हम दे पाएंगे.
- श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अछोटी, २००८)
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