This blog is for Study of Madhyasth Darshan (Jeevan Vidya) propounded by Shree A. Nagraj, Amarkantak. (श्री ए. नागराज द्वारा प्रतिपादित मध्यस्थ-दर्शन सह-अस्तित्व-वाद के अध्ययन के लिए)
ANNOUNCEMENTS
Saturday, December 22, 2012
Friday, December 21, 2012
भ्रम पर्यन्त जीवन की शरीर यात्राओं का स्वरूप
जागृति की ओर प्रवृत्ति होने के बाद पीढी से पीढी और अच्छा होने का क्रम बन जाता है। अंततोगत्वा चेतना-विकास के दरवाजे में आ जाते हैं। एक बार चेतना विकास की स्वीकृति होने पर अगली शरीर-यात्रा में वह और पुष्ट होता है।
- श्री ए नागराज के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त 2006, अमरकंटक)
अनुभव शिविर 2007 - भाग 3
विगत के अध्ययन से जो सार्थक मिला है, उसको परंपरा में लाया जाए। विगत की जो निरर्थकता है, उसकी कड़ी भाषा से समीक्षा हो।
Thursday, December 20, 2012
Friday, December 14, 2012
Wednesday, December 12, 2012
पुनः अनुसन्धान की आवश्यकता क्यों ? (Important)
श्री नागराज के साथ जीवन विद्या राष्ट्रीय सम्मलेन, बांदा (अक्टूबर 2010) में आये लोगों के साथ संवाद।
Tuesday, December 11, 2012
Monday, December 10, 2012
Sunday, December 9, 2012
Friday, December 7, 2012
Thursday, December 6, 2012
Wednesday, December 5, 2012
Saturday, December 1, 2012
संयम काल में अध्ययन - (very important)
- श्री ए नागराज के साथ प्रवीण और आतिशी के संवाद पर आधारित (जुलाई 2010, अमरकंटक)
Subscribe to:
Posts (Atom)