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Friday, July 1, 2011

वाद और शास्त्र

“भौतिक वस्तुओं में द्वन्द नहीं है, समाधान है” - इस बात का प्रतिपादन समाधानात्मक भौतिकवाद करता है.

मानव का भातिक-वस्तुओं के साथ व्यवस्थित आचरण का स्वरूप आवर्तनशील अर्थ-शास्त्र स्पष्ट करता है.

मानव का मानव के साथ व्यवहार के लिए विचार शैली या तर्क व्यवहारात्मक जनवाद प्रस्तुत करता है.

मानव मानव के बीच व्यवहार के लिए विचार-शैली को समाज के स्तर पर क्रियान्वयन का स्वरूप व्यवहार-वादी समाजशास्त्र स्पष्ट करता है.

“अनुभव को बताया जा सकता है, समझाया जा सकता है” – इस बात का प्रतिपादन अनुभवात्मक अध्यात्मवाद करता है.

जीवन-जागृति पूर्वक मानवीयता पूर्ण आचरण (अनुभव मूलक आचरण) का स्वरूप मानव संचेत्नावादी मनोविज्ञान स्पष्ट करता है.

- अध्ययन शिविर से (मई २०११, अभ्युदय संस्थान, अछोटी)

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