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Sunday, November 1, 2020

क्रमिक अध्ययन और सम्पूर्ण अध्ययन

 सम्पूर्ण अध्ययन अनुभव में होता है.  क्रमिक अध्ययन अनुभवगामी पद्दति से होता है.


सब कुछ इकटठा अध्ययन कराना बनता नहीं है, इसलिए क्रमिक अध्ययन की आवश्यकता है.  साधना-समाधि पूर्वक मैंने भी सम्पूर्ण को एक साथ अध्ययन नहीं किया, क्रमिक अध्ययन ही मैंने भी किया.  उसी को अनुभवगामी पद्दति में दिया.  अनुभवगामी पद्दति सम्पूर्ण अध्ययन तक ले जाती है.  सम्पूर्ण अध्ययन सहअस्तित्व ही है.  परम सत्य सहअस्तित्व ही है.


- श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (जनवरी २००८, अमरकंटक)

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