आशा गति से विचार गति, विचार गति से इच्छा गति, इच्छा गति से संकल्प गति, संकल्प गति से प्रमाण गति ज्यादा होती है.
आशा से ज्यादा पैनापन विचार में, विचार से ज्यादा पैनापन इच्छा में, इच्छा से ज्यादा पैनापन संकल्प में, संकल्प से ज्यादा पैनापन प्रमाण में होता है.
इसी अपेक्षाकृत अधिक गति और पैनेपन के आधार पर ही एक दूसरे के साथ मूल्यांकन और तदाकार होना संभव है.
- श्रद्धेय ए. नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००६, अमरकंटक)
आशा से ज्यादा पैनापन विचार में, विचार से ज्यादा पैनापन इच्छा में, इच्छा से ज्यादा पैनापन संकल्प में, संकल्प से ज्यादा पैनापन प्रमाण में होता है.
इसी अपेक्षाकृत अधिक गति और पैनेपन के आधार पर ही एक दूसरे के साथ मूल्यांकन और तदाकार होना संभव है.
- श्रद्धेय ए. नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००६, अमरकंटक)
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