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Sunday, January 1, 2012

समझने में समय

प्रश्न: समझने में बहुत समय लगता है, तब तक जो स्वयं में असंतुष्टि है, उसका क्या करें?

उत्तर: - संतुष्टि तो आप ही में होगा.  संतुष्टि के लिए कोई गोली तो है नहीं की उसको निगलें और समझ गए!  आप अभी समझना चाहें तो अभी समझ सकते हैं, दो वर्ष में समझना चाहें तो दो वर्ष में समझ सकते हैं.  समझने के लिए समझने वाले और समझाने वाले दोनों की भागीदारी जरूरी है.  केवल समझाने वाला पर्याप्त नहीं है, समझने के लिए.  समझने में लगने वाली अवधि समझने-वाले पर निर्भर है.  जैसे - मैं अपनी बात को ५ सूत्रों में भी कह सकता हूँ, २५  सूत्रों में भी कह सकता हूँ, २५००० सूत्रों में भी कह सकता हूँ.  आपको ५ सूत्रों में समझ नहीं आता है तो आपके लिए मैं अपनी बात २५ सूत्रों में कहता हूँ.  २५ सूत्रों में नहीं समझ आता है तो मैं २५००० सूत्रों में कहता हूँ.  समय को लेकर परेशान न हुआ जाए.  समय निरंतर है - वह रुकता नहीं है.  प्रयत्न निरंतर है - चुप तो कोई रहता नहीं है.  प्रयत्न और समय का प्रयोजन के अर्थ में संयोजन होने से समझदारी फलित होता है.

- श्री ए. नागराज के साथ संवाद पर आधारित (अक्टूबर २००९, हैदराबाद)   

3 comments:

deepak joshi said...

respected baba,
vartman me hamari kalpna shakti kakya prabhav hai
deepak joshi

deepak joshi said...

respected baba,
kalpna shakti kya hai or esko ki tarah se pramanit kare.

Rakesh Gupta said...

namaste!

main isko jaise samjha hoon, usko bataane kee koshish karata hoon.

1. vartmaan me humaaree kalpana shakti ka prabhav bhautik-rasaynik vastuon ko apn bhog ke liye ya sangharsh ke liye upyog karne me dikhta hai.

2. kalpana shakti jeevan me hotee hai, jo manav shareer dvara prakat hotee hai. asha, vichar aur ichchha ka sanyukt svaroop kalpana hai. kalpana ko pramaanit karna samajh ke aadhaar par hee hota hai. yadi kalpana samajh ke aadhaar par nahin hai, to vah pramaanit nahin ho saktee.