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Friday, February 2, 2024

जागृति क्रम में आत्मा की स्थिति


 जागृति क्रम में मनुष्य में सुख की आशा आत्मा और बुद्धि की क्रियाओं के चुप "होने" का फल है.  

आत्मा और बुद्धि की क्रियाओं के "रहने" का प्रमाण नहीं मिला, फलस्वरूप सुख की आशा बना रहा.

प्रश्न: जागृति क्रम में आत्मा (जीवन परमाणु का मध्यांश) गठनपूर्णता को बनाये रखने के अलावा क्या और कुछ करता है?

उत्तर: और क्या करना है?  और करना तो यही है - सुख को प्रकट करना है, अनुभव को प्रकट करना है.  अनुभव के प्रकट होने तक चुप रहता है.

प्रश्न: अध्ययन क्रम में आत्मा की क्या स्थिति है?

उत्तर: उस समय आशा अनुभव को छूने की है.  आत्मा में प्रबोधन को स्वीकारने की स्थिति बनी रहती है.  वह स्वीकारते स्वीकारते अंततोगत्वा आत्मा अनुभव संपन्न हो जाता है.  फिर प्रमाणित करने के क्रम में अनुभवशील हो जाता है.  प्रमाण मनुष्य के साथ ही होता है.  आत्मा में अनुभव से पहले अनुभव की प्यास बना रहता है.  प्रमाणित करने का आधार जब जीवन में स्थिर होता है उससे जीवन में तृप्ति होती है.

- श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद (सितम्बर २००९, अमरकंटक)

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