संयम के लिए समाधि आवश्यक है. समाधि के बिना संयम होता नहीं है.
प्रश्न: यदि धरती पर समाधि-संयम की विधि ही न विकसित हुई होती तो?
उत्तर: धरती पर मानव क्रमागत विधि से प्रकट हुआ है. मानव के प्रकट होने के बाद धरती पर क्रमागत विधि से समाधि-संयम विधि का प्रकट होना स्वयंस्फूर्त आता ही है. मैं जो अभी प्रकट कर रहा हूँ वह उसके आगे की कड़ी के रूप में स्वयंस्फूर्त है. सच्चाई के प्रति जीवन में प्यास बना ही रहता है. आशा के आधार पर मानव पहले जीना शुरू करता है, फिर विचार के आधार पर, फिर इच्छा के आधार पर. इतने में मनाकार को साकार करना हो गया. पर उससे तृप्ति नहीं मिला. तृप्ति नहीं मिलने पर दर्द बढ़ना शुरू हुआ. फिर उससे आगे की बात हुआ.
पहले भी समाधि धरती पर कई लोगों को हुआ. किन्तु संयम हुआ जिसके फलन में मानव को जिम्मेदार बनाया हो, ऐसा नहीं हुआ. यदि संयम किन्ही को हुआ भी हो तो उन्होंने ईश्वर को जिम्मेवार बताया, मानव को जिम्मेवार नहीं बताया और बनाया. यह गलत निकल गया. इसलिए अपनी बात को विकल्प स्वरूप में प्रस्तुत किया. पुराना जो लिखा है उसको व्याख्या करने मैं नहीं गया.
- श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (मार्च २००८, अमरकंटक)
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