सत्ता में भीगे होने का अनुभव होकर अनुभव मूलक प्रमाण बोध हो जाना ही धारणा है, यही अध्यात्म है, यही ज्ञान है, यही धर्म है, यही सुख का स्वरूप है.
अन्तर्नियामन विधि का अर्थ है - मन विचार के अनुरूप हो जाए, विचार चित्त के अनुरूप हो जाए, चित्त बुद्धि के अनुरूप हो जाए, और बुद्धि आत्मा के अनुरूप हो जाए. इस विधि से ध्यान का अर्थ स्पष्ट होता है. जीवन की दसों क्रियाएं क्रियाशील होने के लिए यह अन्तर्नियोजन आवश्यक है.
अनुभव के साक्षी में विद्यार्थी अध्ययन करता है, अनुभव की रोशनी में अध्यापक अध्ययन कराता है.
अनुभव प्रमाण ही उपाय है मानव परंपरा के लिए. यही उपकार है. उपाय पूर्वक अनुभव होता है, जिससे धारणा होती है.
- अगस्त २००७, अमरकंटक
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