प्रश्न: "स्थिति गति" से क्या आशय है?
उत्तर: अस्तित्व में हर वस्तु की स्थिति गति है. स्थिति का मतलब है - होना। गति का मतलब है - रहना। स्थिति और गति अविभाज्य है.
स्थिति या होने का मूल स्वरूप है - सत्ता में सम्पृक्त प्रकृति। प्रकृति की हर इकाई में "होने" के लिए प्रतिबद्धता है. होने की निश्चित स्थितियाँ हैं. जैसे - दो अंश का परमाणु "होने" की एक निश्चित स्थिति है. पदार्थ अवस्था, प्राण अवस्था, जीव अवस्था और ज्ञान अवस्था - होने की निश्चित स्थितियाँ है. होने की इन स्थितियों में एक क्रम है.
गति के तीन स्वरूप हैं - (१) स्थानांतरण (२) परिवर्तन (३) व्यवस्था में भागीदारी। हर स्थिति की गति के यही तीन स्वरूप हैं.
अभी प्रचलित विज्ञान गति को कुछ सीमा तक पहचाना है, पर स्थिति को पहचाना नहीं है.
- श्री ए नागराज के साथ संवाद पर आधारित (जनवरी २००७, अमरकंटक)
उत्तर: अस्तित्व में हर वस्तु की स्थिति गति है. स्थिति का मतलब है - होना। गति का मतलब है - रहना। स्थिति और गति अविभाज्य है.
स्थिति या होने का मूल स्वरूप है - सत्ता में सम्पृक्त प्रकृति। प्रकृति की हर इकाई में "होने" के लिए प्रतिबद्धता है. होने की निश्चित स्थितियाँ हैं. जैसे - दो अंश का परमाणु "होने" की एक निश्चित स्थिति है. पदार्थ अवस्था, प्राण अवस्था, जीव अवस्था और ज्ञान अवस्था - होने की निश्चित स्थितियाँ है. होने की इन स्थितियों में एक क्रम है.
गति के तीन स्वरूप हैं - (१) स्थानांतरण (२) परिवर्तन (३) व्यवस्था में भागीदारी। हर स्थिति की गति के यही तीन स्वरूप हैं.
अभी प्रचलित विज्ञान गति को कुछ सीमा तक पहचाना है, पर स्थिति को पहचाना नहीं है.
- श्री ए नागराज के साथ संवाद पर आधारित (जनवरी २००७, अमरकंटक)