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Sunday, December 1, 2013

मौलिकता

प्रश्न: मौलिकता क्या है?

उत्तर: हर वस्तु में उसकी प्रजाति की मौलिकता है.  जैसे - दो अंश के परमाणु की एक मौलिकता है, जो दो अंश वाले परमाणुओं की प्रजाति में ही देखने को मिलती है.  तीन अंश वालों में दो अंश वाली मौलिकता नहीं मिलती, वहाँ तीन अंश वाली मौलिकता मिलती है।  उसी प्रकार प्राण-अवस्था में दूब प्रजाति की एक मौलिकता है, जो दूब प्रजाति में ही मिलेगी, आम प्रजाति में नहीं।  इसी प्रकार जीव-अवस्था में वंश प्रजाति के अनुसार मौलिकता स्पष्ट होती है.  मौलिकता है -  उस प्रजाति की उपयोगिता और पूरकता।  स्वयं में उपयोगी, अन्य के लिए पूरक।

प्रश्न: मानव के लिए "मौलिकता" के इस सूत्र की क्या व्याख्या है?

उत्तर: मानव में ज्ञान के आधार पर मौलिकता स्पष्ट होती है.  मानव ज्ञान विधि से मौलिक है.  मानव ज्ञान-अवस्था का है और मानवों में जातियों की विविधता नहीं है.  सभी मानव एक ही जाति के हैं.  मानव में पूरकता-उपयोगिता का स्वरूप बहु-आयामी है.  मानव में मौलिकता (पूरकता-उपयोगिता) मानव-लक्ष्य (समाधान, समृद्धि, अभय, सह-अस्तित्व) और जीवन-मूल्य (सुख, शान्ति, संतोष, आनंद) के अर्थ में है.  यह ज्ञान का वैभव है.

- श्री ए नागराज के साथ संवाद पर आधारित (दिसंबर २००८, अमरकंटक)

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