सहअस्तित्व अपने में ज्ञानगोचर है. सहअस्तित्व को समझे बिना मानव अपने में ज्ञानगोचर को पहचान ही नहीं सकता। इसलिए सहअस्तित्व को पहचानना, सहअस्तित्व में जीवन को पहचानना, सहअस्तित्व में शरीर रचना को पहचानना, फिर शरीर और जीवन के संयुक्त रूप में मानव को पहचानना।
ज्ञानगोचर विधि से मानव में "निर्णय" (या निश्चयन) है.
इन्द्रियगोचर विधि से मानव में "गति" (व्यव्हार और कार्य) है.
- श्री ए नागराज के साथ संवाद (जनवरी २००७, अमरकंटक)