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Thursday, November 22, 2012

अपराध मुक्ति

समझदारी से समाधान और श्रम से समृद्धि पूर्वक यदि हर परिवार जीता है तो अपराध मुक्ति का रास्ता बनता है।  हर व्यक्ति के अपराध मुक्त होने की यही विधि है।  दूसरी किसी विधि से मानव जाति अपराध मुक्त होगा ही नहीं।  चुप हो जाने से सारे मानव अपराध मुक्त होंगे नहीं।  एक व्यक्ति यदि चुप हो भी जाए तो उससे सर्वमानव अपराध मुक्त हो जाए, ऐसा होता नहीं है।

न्याय विधि से जीने का कोई स्वरूप और योजना आपके पास न हो तो अपराध मुक्ति कैसे होगा?  न्याय विधि से जीने का स्वरूप है - "अखंड समाज - सार्वभौम व्यवस्था" सूत्र-व्याख्या।  इसके लिए योजना है - शिक्षा-संस्कार योजना, जीवन विद्या योजना, परिवार मूलक स्वराज्य व्यवस्था योजना।  इसके लिए हर व्यक्ति के जागृत होने की ज़रुरत है।  एक व्यक्ति के जागृत होने भर से काम नहीं चलेगा।  हर व्यक्ति समझदार होने पर ही प्रमाणित होगा।  प्रमाण ही जागृति है।

यह प्रस्ताव सबके लिए सुगम है, सबकी जरूरत है, परिस्थितियां इस प्रस्ताव की आवश्यकता निर्मित कर रही हैं।  मानव के पुण्य वश ही यह घटित हो रहा है।  इसीलिये मैं भरोसा करता हूँ - मानव इसको स्वीकारेगा, सुखी हो जाएगा।  इस तरह मुझे सर्वशुभ का रास्ता साफ़-साफ़ दिखाई देने लगा।  तब मैं इसमें जूझ पड़ा।  कब तक?  जब तक सांस चलेगा, तब तक!

- श्री ए नागराज के साथ संवाद पर आधारित (जनवरी 2007, अमरकंटक)

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