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Thursday, August 27, 2020

अपव्यय और आसक्ति

शरीर जड़ प्रकृति है, जीवन चैतन्य प्रकृति है.  जीवन में अक्षय बल और अक्षय शक्ति है.  अतः इच्छा की अपेक्षा में संवेदनशीलता क्रिया अल्प है.  संवेदनशीलता अल्प है, इच्छा शक्ति विशाल है.  अतः संवेदनशीलता के लिए सम्पूर्ण इच्छा शक्ति का नियोजन "अपव्यय" है.  दूसरे विधि से देखें तो - इच्छाएं जितनी हैं संवेदनाएं उतना काम कर नहीं पाते हैं.  इच्छाओं की पूर्ती संवेदनाओं से नहीं हो सकती.  अतः संवेदनाओं द्वारा इच्छाओं की पूर्ती का प्रयास "आसक्ति" है.  


- श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (जनवरी २००८, अमरकंटक)