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Friday, May 1, 2009

आगे की पीढी आगे!

आगे पीढी इस बात को मुझ से तो अच्छा ही प्रस्तुत करेगा। ऐसा मेरा विश्वास है। यदि यह हो पाता है, तो मानो - परम्परा बदलेगा। यह प्रस्ताव मनुष्य-परम्परा की आवश्यकता है। आज इस प्रस्ताव की जितनी आवश्यकता महसूस की जा रही है, २५ वर्ष पहले ऐसा नहीं था। परिस्थितियां मनुष्य को इस प्रस्ताव को अपनाने के लिए मजबूर कर रहा है।

मैं मनुष्य-परम्परा में विश्वास करता हूँ। मनुष्य-परम्परा पर यदि मैं विश्वास नहीं करता, तो इसको लेकर क्यों आप लोगों से जूझता? मैंने मनुष्य के जीने का minimum beautiful मॉडल प्रस्तुत कर दिया है। maximum beautiful के लिए आगे परम्परा के लिए जगह रखा है! आगे की पीढी आगे ही होगी।

बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००६, अमरकंटक)

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