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Wednesday, August 13, 2008

कैसे सुने?

जो कहा जा रहा है, उतना ही सुने - उसके साथ मिलावट नहीं किया जाए। मिलावट करने से हम रुक जाते हैं। अनसुनी करने से हम रुक जाते हैं। अनदेखी करने से हम रुक जाते हैं।

यह कुल मिला कर जागृत मनुष्य के रूप में होने के लिए सुझाव है। इसको ध्यान से सुनने की ज़रूरत है।

अनदेखी नही किए - मतलब ध्यान देना शुरू कर दिए।
मिलावट नहीं किए - मतलब सतर्क रहना शुरू कर दिए।
अनसुनी नहीं किए - मतलब एकाग्रता आ गयी।

इस बात को पूरा समझने के बाद निर्णय लीजिये - इसमें क्या कमी है। समझने के पहले ही हम इसमें कमी निकालने लगे, कुछ इसके बारे में निर्णय लेने लगे - तो अनसुनी और अनदेखी होगी। इसको समझने के बाद विचार कीजिये - यह हमारे लिए कितना सार्थक है, उपकारी है, ज़रूरत है। फ़िर कोई विरोधाभास लगता है, तो मुझे बताइये। हर सूत्र, हर बिन्दु मनुष्य में समाने के लिए ही है। कुछ भी विरोधाभास में जाता ही नहीं है।

- बाबा श्री नागराज शर्मा के साथ संवाद पर आधारित। (जनवरी २००७, अमरकंटक)

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