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Sunday, October 13, 2024

आचरण की ही परम्परा होती है.

आचरण की ही परम्परा होती है.  मानव के आचरण के तीन आयाम हैं - मूल्य, चरित्र, नैतिकता।  मानवीयता पूर्ण आचरण के आधार पर संविधान, संविधान के आधार पर शिक्षा, शिक्षा के आधार पर व्यवस्था।  इस तरह मानवीयता पूर्ण आचरण पीढ़ी से पीढ़ी होते रहना व्यवस्था का आधार हुआ.  ऐसे मानवीयता पूर्ण आचरण को पहचानने के लिए मैंने परमाणु में निश्चित आचरण की व्यवस्था को देखा, वनस्पतियों में निश्चित आचरण की व्यवस्था को देखा, जीवों में निश्चित आचरण की व्यवस्था को देखा।  मानवीयता पूर्ण आचरण को करके देखा - वह सही निकला।  तब हल्ला करना शुरू किया।  


- श्रद्धेय नागराज जी के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त २००७, अमरकंटक)

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