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Wednesday, July 4, 2012

तृप्ति के लिए उपाय


सह-अस्तित्व के प्रस्ताव से सहमति होने से रोमांचकता तो होती है - पर उतने भर से तृप्ति नहीं है। तृप्ति के लिए क्या किया जाए? तृप्ति के लिए तुलन में प्रिय, हित, लाभ के स्थान पर न्याय, धर्म, सत्य को प्रधान माना जाए। न्याय, धर्म और सत्य को हम चाहते तो हैं ही। हम में कोई ऐसा क्षण नहीं है, जब हम न्याय, धर्म, सत्य को न चाहते हों। हम जितना भी न्याय, धर्म और सत्य को समझते हैं उसके आधार पर जब यह सोचना शुरू करते हैं - कहाँ तक यह न्याय है या अन्याय है? कहाँ तक यह समाधान है या समस्या है? कहाँ तक हम सत्य को यहाँ प्रमाणित कर पाए? इस तरह तुलन करने पर हम अपनी जिज्ञासा की वरीयता को न्याय, धर्म और सत्य में स्थिर कर लेते हैं।

 - श्री ए नागराज के साथ संवाद पर आधारित (अगस्त 2006, अमरकंटक)

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